महिलाएं ऐसे प्राप्त करें गुजारा भत्ता Section 125Crpc Hindu Marriage Act in Hindi

By | 01/07/2023

समाज एक बंधन से बंधा हुआ है, जिसमें एक दूसरे के प्रति कुछ दायित्व होते हैं। विवाह भी उन्ही बंधनों में एक पवित्र बंधन माना गया है। इसमें पति-पत्नी दोनों को एक दूसरे की देखभाल उसके सुख दुख में सम्मिलित होने का अधिकार दिया गया है। विवाह के समय दोनों एक दूसरे के सुख-दुख में सम्मिलित होने का वचन भी देते हैं। उसी क्रम में हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 125 के तहत भरण पोषण की व्यवस्था की गई है संबंधित लेख में आप धारा 125 CrPC का अध्ययन करेंगे।

भरण पोषण प्राप्त करने का कानून Section 125 Hindu Marriage Act in Hindi

वृद्धौ च माता पितरौ साध्वी भार्या सुतः शिशु अपकार्य शंत कृत्वा भर्वव्याममनुब्रवीत। (मनुस्मृति)

अर्थात पर्याप्त साधन संपन्न वाले व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी संतान एवं माता पिता का यथासंभव भरण पोषण करें।

उपरोक्त श्लोक से स्पष्ट होता है कि धारा CrPC 125 के अंतर्गत क्या बात कही गई है। जो व्यक्ति साधन संपन्न अथवा स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ है वह अपने आश्रय दाता से भरण-पोषण पाने का अधिकारी है। ऐसे में  माता-पिता, पति/पत्नी जो स्वयं का पोषण करने में असमर्थ हो पुत्र तथा पुत्री जो अविवाहित हो भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकारी है। जब कोई भरण पोषण करने से इंकार करता है इसकी शिकायत CrPC की धारा 125 के तहत परिवार न्यायालय में दी जा सकती है। वहां मजिस्ट्रेट अपने विवेक तथा उचित खोजबीन/साक्ष्यों के आधार पर भरण पोषण जारी करने का आदेश दे सकते हैं।

125 crpc maintenance in hindi

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स्वेच्छा से अलग रह रही पत्नी को नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता CrPC 125(4)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महिला के गुजारा भत्ता को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने साक्ष्यों पर विचार करते हुए यह फैसला जारी किया। महिला ने पारिवारिक न्यायालय में यह कहा था वह दहेज मांगने के कारण अपने मायके जाकर स्वेच्छा से रहने लगी। इस पर पारिवारिक न्यायालय ने महिला को गुजारा भत्ता (10000 रुपया) जारी करने का आदेश दिया था। पति ने इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जहां हाईकोर्ट मैं महिला दहेज की बातों को साबित नहीं कर पाई। उपरोक्त साक्ष्यों पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए गुजारा भत्ता पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने माना कि सीआरपीसी CrPC की धारा 125 (4) के प्रावधान में स्पष्ट है कि स्वेच्छा से अलग रह रही पत्नी भरण पोषण के लिए हकदार नहीं होगी।

125(4) crpc maintenance in hindi

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हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24

(वादकालीन भरण-पोषण और कार्यवाहीयों के व्यय)

उपरोक्त शीर्षक से आप समझ गए होंगे कि पति अथवा पत्नी अगर आप के खिलाफ हिंदू मैरिज एक्ट की धारा CrPC 125 के तहत भरण-पोषण की मांग करता/करती है। पर्याप्त सबूत है कि वह मुकदमे का खर्च और आय-व्यय का खर्च उठाने में अक्षम है। आपसे हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 के तहत न्यायालय के समक्ष उन खर्चों की मांग कर सकता/सकती है।

न्यायालय मुकदमे का अध्ययन करते हुए तथा पति तथा पत्नी की आर्थिक स्थिति का आकलन करते हुए पति या पत्नी को मुकदमे के दौरान भरण पोषण का आदेश दे सकती है। यह न्यायालय के विवेक पर आधारित होता है, कि वह कितनी राशि का आदेश करता है। इस आदेश को जारी करने से पूर्व न्यायालय को इस निष्कर्ष पर पहुंचना होता है कि आवेदक अपना स्वयं का भरण-पोषण करने में सक्षम है? अथवा नहीं।

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समापन

उपरोक्त लेख शिक्षा तथा जानकारी के आधार पर लिखा गया है। उपरोक्त लेख में कोई राय मशवरा नहीं है। उपरोक्त कानून के प्रयोग से पहले अपने कानूनी सलाहकार से अवश्य सलाह लें।

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