भारत लोकतांत्रिक देश है लोकतंत्र में नागरिकों को अधिकार दिया गया है। संविधान के तहत सभी प्रशासनिक अधिकारी तथा निवासीगण को उनके दायित्व और कर्तव्य बताए गए हैं। जिसमें अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों या किसी अन्य प्रकार के आपराधिक गतिविधि आदि की जानकारी पुलिस प्रशासन को देने का विधान किया गया है। पुलिस अधिकारियों को यह निर्देशित किया गया है, वह बिना किसी पूर्वाग्रह या किसी कारकों से प्रेरित हुए बिना रिपोर्ट लिखा और उसकी जांच करें। किंतु कई बार परिस्थितिया ऐसी होती है पुलिस अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक प्रकार से नहीं कर पाते। डिपार्टमेंट में पुलिस कर्मियों की संख्या कम होना एक कारण हो सकता है, किंतु सदैव यही कारण हो ऐसा भी नहीं है।
प्रस्तुत लेख में आपको बताने का प्रयास किया गया है, आपकी प्राथमिक दर्ज न करें तो आप किन माध्यमों का सहारा ले सकते हैं।
Police FIR Na Likhe To Kya Kare थाने में सुनवाई न होने पर क्या करें
दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1973 के अध्याय 12 पुलिस को इत्तला और उसकी सूचना की शक्तियां में संग्रहित है। धारा 154-162 के अंतर्गत पुलिस को प्राथमिक की दर्ज करने बयान दर्ज करने का विधान किया गया है। कोई भी पीड़ित व्यक्ति या समाज का व्यक्ति अपराध की सूचना पुलिस को दे सकता है। अपराध की सूचना मौखिक, लिखित किसी भी रूप में दी जा सकती है। अगर सूचना देने वाला व्यक्ति शिक्षित नहीं है तो उसके बोले गए वाक्य को पुलिस या उसकी सहयोगी लिखेगा। उस रिपोर्ट को पढ़कर सुनाएगा उसके उपरांत उसे अंगूठे का निशान या हस्ताक्षर लेगा। किसी भी परिस्थिति में पुलिस सूचना को लेने से मना नहीं कर सकती। यह पुलिस का दायित्व भी है कर्तव्य भी।थाने का भारसाधक अधिकारी प्रत्येक सूचना को थाने में उपस्थिति पंजिका में दर्ज करें और उसे पंजिका की संख्या शिकायतकर्ता को अवश्य दें।
वर्तमान समय में यह देखा गया है पुलिस अपने क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों या शिकायतों को लिखने से बचती है। इससे उनकी शाख में कमी आती है, उनके पदोन्नति आदि प्रभावित होती है। इसलिए पुलिस या थाने का भारसाधक अधिकारी प्राथमिक की दर्ज करने से बचता है। कई बार प्राथमिक की दर्ज करना इतना भारी पड़ जाता है कि पीड़ित को न्याय तक नहीं मिल पाता। वह कानून से मिलने वाली उम्मीद भी छोड़ देता है, जबकि यह पीड़ित व्यक्ति के अधिकारों का हनन है.
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FIR Kaise Likhe पुलिस शिकायत कैसे करें। थाने में शिकायत पत्र कैसे लिखें
डाक तथा ईमेल का प्रयोग करें
अगर पुलिस अधिकारी आपकी प्राथमिक ही दर्ज न करें तो आप अपने शिकायत पत्र को डाक तथा ईमेल के माध्यम से उच्च अधिकारियों तक पहुंचाएं। उच्च अधिकारी मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वयं जांच करेंगे या फिर किसी अधिकारी को जांच करने का निर्देश देंगे। अगर आपके द्वारा भेजे गए डाक तथा ईमेल पर कुछ अधिकारी कोई प्रतिक्रिया या कार्यवाही नहीं करते आप उन्हें पुनः रिमाइंडर दे और मामले की गंभीरता को बताने का प्रयास करें। कुछ ना कुछ उपाय अवश्य निकलेगा। अधिकतर मामलों में देखा गया है, उच्च अधिकारी आपके द्वारा भेजे गए डाक तथा ईमेल पर कार्यवाही करते हैं तथा डायरी नंबर तक उपलब्ध कराते हैं।
सोशल मीडिया का बखूबी प्रयोग करें
आजकल सोशल मीडिया का प्रभाव अत्यधिक है। कोई अधिकारी आपकी प्राथमिकी को दर्ज करने से अवरोध उत्पन्न करता है। आप थाने के बाहर ऐसी जगह खड़े हो जहां से थाने का बोर्ड साफ-साफ नजर आ रहा हो। अपने मोबाइल से ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब पर वीडियो बनाकर डालें और बड़े अधिकारियों को टैग करें। ट्विटर इन मामलों में अभी ज्यादा सक्रिय है। हो सके तो आप ट्विटर का प्रयोग करें, यहां तुरंत कार्यवाही की संभावना रहती है, आपका काम अवश्य होगा।
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अदालत के समक्ष आवेदन करें
अपने प्राथमिक की दर्ज करने के लिए अपने जितने प्रयत्न किए हैं, उन सभी सबूत को लगाकर आप अदालत के समक्ष आवेदन दे सकते हैं। अदालत आपके प्राथमिक की को तुरंत दर्ज करने और उसे पर कार्यवाही करने का निर्देश जारी करेगा। यहां आपको थोड़ा सा परेशानी आर्थिक तथा मानसिक रूप से अवश्य होगी किंतु आपका काम अवश्य होगा। अगर आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं तो कोर्ट में लीगल एड की सुविधा भी उपलब्ध होती है। आप वहां से निशुल्क सुविधा भी ले सकते हैं।

police fir nahi kare to kya kare
जीरो एफ आई आर भी करा सकते हैं
हो सकता है आपने जीरो फिर का नाम नहीं सुना हो। जीरो FIR ऐसी स्थिति में दर्ज होता है जहां ऐसी स्थिति उत्पन्न हो घटना स्थल पर या उसे क्षेत्र में जाना पीड़ित के लिए आसान न हो। ऐसे में पीड़ित देश के किसी भी राज्य की पुलिस थाना या चौकी में अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाएगा। ऐसे रिपोर्ट जिन्हें पुलिस अधिकारी दर्ज करेंगे और संबंधित थाना को हस्तांतरित करेंगे। इस रिपोर्ट को जीरो फिर के नाम से जाना जाता है।
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