बच्चे पर पति तथा पत्नी दोनों का बराबर अधिकार होता है। ऐसा नहीं कि बच्चे पर किसी एक का विशेष अधिकार हो। बच्चे अपने माता-पिता का प्यार पाने के अधिकारी होते हैं, उन्हें उस प्यार से वंचित नहीं किया जा सकता। जो इस प्रकार का कृत्य करता है, वह कानून का दुरुपयोग कर कानून की अवहेलना करता है। वर्तमान परिस्थितियां इस ओर संकेत करती है, मुकदमों के दरमियान बच्चे को हथियार बनाकर पति या पत्नी प्रयोग करते हैं। ऐसे में आप उन बच्चों का जीवन बर्बाद कर रहे होते हैं, जिन्हें प्यार और सम्मान की आवश्यकता होती है। प्रस्तुत लेख में हम एक पिता अपने बच्चे से किस प्रकार मिले या उसकी देखभाल का अधिकार प्राप्त करें बताएंगे।
बच्चे से मिलने का अधिकार Child Custody Ya Visiting Right Kaise Le
बच्चों पर अधिकार माता-पिता का समान रूप से होता है। चाहे उनके बीच आपस में इतने ही मनमुटाव या तनाव क्यों न हो, उस से बच्चों को संरक्षण दिलाना कानून का दायित्व है। यह कहना गलत होगा कि बच्चे पर किसी एक का दायित्व है। उचित दिशा में कार्य करते हुए अगर आप अपने बच्चे से मिलने का अधिकार चाहते हैं या उसको पूर्ण रूप से अपने संरक्षण में रखना चाहते हैं तो कानून आपका मदद करेगा। बशर्ते आपका मकसद साफ हो। प्रस्तुत लेख में विस्तृत रूप से बताने का प्रयास किया गया है आप इन प्रक्रिया को अपनाकर बच्चे से मिलने या उसकी कस्टडी लेने की दिशा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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1 क्या कोर्ट केस चल रहा है?
अगर आपका मुकदमा न्यायालय में चल रहा है, या CrPC 125 के तहत आप गुजारा भत्ता दे रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में आप न्यायालय के समक्ष आवेदन पत्र लगाएं। न्यायालय को सूचित करें कि वह बच्चे से मिलने का आदेश पारित करें। क्योंकि बच्चे पर अधिकार आपका भी है और आप 125 CrPC के तहत गुजारा भत्ता दे रहे हैं। ऐसे में आप केवल पैसे देने के लिए नहीं है, बल्कि आप अपने बच्चे को प्यार देने और उससे प्यार पाने के अधिकारी भी हैं। कोर्ट आपकी बातों को अवश्य सुनेगा और इस दिशा में निर्देश जारी भी करेगा। कोर्ट की अवमानना करने पर पत्नी को दंडात्मक कार्यवाही का सामना भी करना पड़ेगा। इसलिए कोर्ट के समक्ष बच्चे से मिलने का आवेदन अवश्य लगाएं।
अगर आपको पूर्ण रूप से बच्चे की कस्टडी चाहिए तो पत्नी के गलत व्यवहार उसके गलत व्यवहार को सबूतों के आधार पर कोर्ट के समक्ष रखें। कोर्ट को यह समझाने का प्रयत्न करें, आपके बच्चे की उचित परवरिश आपकी पत्नी के समक्ष नहीं हो सकती। आप बच्चे को उचित परवरिश देने के लिए आर्थिक, सामाजिक आदि रूप से सक्षम और मजबूत हैं।
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2 अभी कोर्ट केस नहीं हुआ?
यदि आपका मामला न्यायालय के समक्ष अभी नहीं आया है तो आप चाइल्ड वेलफेयर कमिश्न CWC को संपर्क करें। अपने बच्चों से मिलवाने की गुजारिश करें। इतना ही नहीं और उच्च अधिकारियों से भी मदद मांगे। आवेदन पत्र में लिखे आपको सप्ताह, महीना या कोई ऐसा दिन सुनिश्चित करें जिस दिन आप अपने बच्चों से मिल सके। इसके लिए आपको अपने बच्चों से जुड़ाव के कुछ फोटोग्राफ लगाने चाहिए जैसे-
- त्यौहार मनाते हुए
- जन्मदिन मनाते हुए
- पिकनिक, घूमने गए हुए हैं ऐसे फोटोग्राफ्स आपके और आपके बीच बच्चों के रिश्ते को मजबूती से प्रकट करता है।
3 आप अच्छे पिता हैं साबित करें (Child Custody Ya Visiting Right)
निश्चित रूप से पुरुष एक आदर्श पिता अभिभावक होता है। कुछ अपवाद हो सकते हैं किंतु उन अपवादों के आधार पर सभी पुरुषों को एक जैसा समझना गलत होगा। आप एक आदर्श पिता हैं, यह न्यायालय या न्यायिक प्रक्रिया में स्वयं को साबित करें, जिसके लिए निम्नलिखित कुछ संकेत दिए गए हैं –
स्कूल फीस –अगर आप अपने बच्चों का पूर्ण रूप से देखभाल कर रहे हैं उसके शिक्षा का उचित व्यवस्था कर रहे हैं, तो आप अपने द्वारा व्यय किए हुए स्कूल की फीस, ट्यूशन आदि की रसीद संभाल कर रखें। समय अनुसार न्यायिक प्रक्रिया में इसका प्रयोग करें। और आप अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक प्रकार से कर रहे हैं साबित करें।
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गिफ्ट की रसीद– अगर आप अपने बच्चों को कोई उपहार देते हैं, जन्मदिन के अवसर पर उसके लिए कोई खर्च आदि करते हैं उसकी रसीद सुरक्षित रखें। वर्तमान समय में ऑनलाइन का जमाना है अगर आप अमेजॉन, फ्लिपकार्ट या अन्य ऑनलाइन पोर्टल से बच्चों के लिए गिफ्ट खरीद कर भेजते हैं। उस रशीद को संभाल कर रखें। अगर आपकी पत्नी उसे गिफ्ट को लेने से इंकार करती है, इसमें आपका कोई दोष नहीं। यह पत्नी की बुरी मनसा है जो कोर्ट अध्ययन में दिखेगी। पत्नी का यह अधिकार नहीं है कि वह आपके द्वारा भेजे गए, आपके बच्चे के लिए गिफ्ट को लेने से मना करे।
मनी ऑर्डर– बच्चों की परवरिश में आर्थिक आवश्यकता होती है। आप अपने बच्चों की परवरिश तथा दैनिक प्रयोग के लिए कुछ राशि मनी ऑर्डर या ऑनलाइन के माध्यम से भेजें। अगर आपकी पत्नी मनी ऑर्डर वापस करती है तो यह पत्नी की ओर से अपराध है। अर्थात आपकी पत्नी को पैसों की आवश्यकता नहीं है। भविष्य में वह CrPC 125 के तहत भरण-पोषण की मांग करती है तो आप इस सबूत को पेश कर सकते हैं।आप एक अच्छे पिता हैं इसलिए बच्चों की परवरिश हेतु स्वेच्छा से जितना हो सके मनी ऑर्डर भेजें।
अगर आपकी पत्नी पैसे को लेने से मना करें, मनी ऑर्डर लौटा दे या आपके द्वारा भेजे गए पैसे को लौटा दे तो आप बच्चों के नाम माइनर अकाउंट खुलवाए। उसे अकाउंट में पैसे डालें, इस खाते का अलर्ट मैसेज पत्नी को भेजें और लिखे मेरे बच्चे की आवश्यकता के लिए इन पैसों का उपयोग कर सकते हो। यह आपके अच्छे पिता होने का संकेत होगा।
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4 बच्चे की कस्टडी के लिए प्रयत्न
आप अपने बच्चों की कस्टडी और उससे मिलने के लिए इच्छुक हैं तो चुप बैठना आपके हित में नहीं होगा। अगर आपकी पत्नी ने कोर्ट में मुकदमा दायर किया है तो उसे मुकदमे में बच्चों से मिलने के लिए आवेदन लगाए। इतना ही नहीं आप उच्च अधिकारियों से भी आवेदन के माध्यम से संपर्क करें। चाइल्ड वेलफेयर कमिश्न में भी अपने आवेदन दें। आपका यह सभी प्रयत्न व्यर्थ नहीं जाएगा, आपको सफलता अवश्य मिलेगी।
आप आवेदन पत्र में अवश्य लिखें आपके बच्चे से मिलने का कोई दिन निश्चित करें जिस पर आप स्वतंत्र रूप से अपने बच्चों से भेंट मुलाकात कर सकें। फिलहाल पूर्ण रूप से कस्टडी की मांग ना करें। अपने बच्चों से खुशहाल मन से मिले और उन्हें अपने प्यार तथा स्नेहा दें।
5 पत्नी की बुरी नीयत से बचे (Child Custody Ya Visiting Right)
आपकी पत्नी तथा ससुराल वाले बच्चों को हथियार बनाकर आपके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही लड़ना चाहते हैं। ऐसे में जब आपको बच्चों से मिलने की अनुमति मिलती है, अर्थात आपको विजिटिंग राइट्स मिलता है तब बच्चों से मिलने जाएं किंतु निम्नलिखित सावधानियां अवश्य रखें।
बच्चे को खाने पीने का ना दें– अपने बच्चों से मिलने जाएं तो उसके लिए चॉकलेट, टॉफी या कुछ खाने पीने का सामान अपने साथ लेकर न जाए। जहां तक हो सके खाने पीने का सामान देने से परहेज करें। जब आप बच्चे को कुछ खाने-पीने का सामान देते हैं तो आपकी पत्नी आपके विरुद्ध झूठा आरोप लगा सकती है। आपके खाने पीने के समान से बच्चे को फूड प्वाइजनिंग हुई। अर्थात आप बच्चे को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। ऐसे में आपका विजिटिंग राइट खतरे में आ सकते हैं इसलिए सतर्क रहें।
कपड़े और खिलौने ही दें – आप बच्चे से मिलने जाए तो उसके लिए कपड़े खिलौने या कोई अन्य उपहार लेकर जा सकते हैं। जो बच्चों को प्रिय लगे अर्थात उसे किसी प्रकार की हानि ना हो ऐसे में कपड़े तथा खिलौने देना उचित होगा।
बच्चों से संभाल कर बातचीत करें – आपके बच्चे को आपके ससुराल वालों ने तथा पत्नी ने अनेकों प्रकार के किस्से कहानियां झूठ मनगढ़ंत भी बुनियाद बातें बच्चों के मन में डाला हुआ होता है। ऐसे में आप अपनी सफाई, दोष निर्दोष होने की बात ना करें। बल्कि उससे प्रेम करें और उससे दोस्ती बनाने की कोशिश करें। उसके साथ खेले ताकि आपके जाने के बाद उसे आपके साथ बिताए हुए पाल याद रहे। अगली बार आपसे मिलने के लिए उत्सुक रहे। धीरे-धीरे वह आपके बातों को समझेगा आपसे प्रेम करेगा तथा आपके ऊपर हो रहे अत्याचार को समझेगा।
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समापन
उपरोक्त लेख में हमने समझने का प्रयत्न किया है आप अपने बच्चों से किस प्रकार मिलने का अधिकार या चाइल्ड कस्टडी प्राप्त कर सकते हैं। आपकी पत्नी तथा ससुराल वाले आपके बच्चे को हथियार बनाकर आपके विरुद्ध प्रयोग करते हैं। उनकी यह मंशा होती है आपसे आर्थिक मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने की। ताकि आप भावनात्मक रूप से टूटे और उन्हें फायदा हो सके। स्वयं को मजबूत बनाकर इन विकट परिस्थितियों का सामना करें। निश्चित रूप से विजेता वही होता है जो संघर्ष करता है आप भी विजेता बनेंगे।