आम जीवन शैली में कभी ना कभी हमें पत्र लिखने का अवसर अवश्य प्राप्त होता है। अगर हमें पुलिस थाने या किसी कार्यालय में कोई पत्र लिखना होता है तो हम सोच विचार में पड़ जाते हैं कि हमें यह आवेदन कैसे और किस प्रारूप में लिखना है? मुख्य रूप से पत्र दो प्रकार के होते हैं औपचारिक तथा अनौपचारिक। औपचारिक पत्र वह होते हैं जो किसी कार्यालय आदि में लिखे जाते हैं। अनौपचारिक पत्र वह होते हैं जो अपने मित्र, रिश्तेदार आदि को लिखते हैं। पुलिस थाने में लिखा जाने वाला प्राथमिकी शिकायत पत्र औपचारिक होता है। पत्र लिखते समय थोड़ी सी सावधानी और समझ की आवश्यकता होती है। निम्नलिखित हम प्रारूप के माध्यम से मारपीट की शिकायत लिखना सीखेंगे इसी आधार पर आप अन्य शिकायत पत्र एप्लीकेशन लिख सकेंगे।
FIR Kaise Likhe पुलिस को शिकायत पत्र कैसे लिखें
(प्राथमिकी दर्ज कराने से पूर्व महत्वपूर्ण सावधानियां रखें अपने शिकायत पत्र में नाम, स्थान, दिनांक, चश्मदीद तथा घटना का ब्यौरा स्पष्ट लिखें। यह आपके प्राथमिकी शिकायत पत्र को और प्रमाणिक बनाने में सहयोग करेगा। घटना को विस्तृत रूप से अभियुक्त गण का नाम सहित लिखें और प्रमाणिकता का ध्यान रखें झूठ लिखने से परहेज करें।)
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सेवा में
थाना प्रभारी
………………
दिल्ली …………..
विषय- मारपीट के संदर्भ में प्राथमिकी दर्ज कराने हेतु प्रार्थना पत्र।
महोदय
मैं गौरव पुत्र श्री अवधेश सिंह निवासी ………………. श्रीमान को अवगत कराना चाहता हूं कि दिनांक 14 दिसंबर 2005 को मेरे पड़ोसी राजा उर्फ गब्बर ने रात्रि करीब 8:45 पर मेरे घर 8 से 10 लोगों के समूह में हमला किया। इस हमले में मैं और मेरा परिवार चोटिल हुआ। सहायता के लिए हमने पुलिस हेल्पलाइन नंबर ……. पर कॉल की पुलिस के आने से पहले वह घटना को अंजाम देकर फरार हो चुके थे। पड़ोसियों ने शोर-शराबा सुनकर उन्हें पकड़ने की कोशिश की किंतु वह भागने में कामयाब रहे। उनके हमले से मेरे पिताजी, मेरी माता जी, मेरा भाई, मेरी बड़ी बहन और मैं जख्मी हो गए। मैं और मेरा परिवार प्राथमिक उपचार के लिए नजदीकी हॉस्पिटल गए जहां हमें डॉक्टर ने इलाज तथा मरहम पट्टी के बाद छुट्टी दे दी।
श्रीमान उपरोक्त अभियुक्त राजा उर्फ गब्बर आए दिन हमें इसी प्रकार प्रताड़ित करता रहता है। हमें क्षति पहुंचाने की कोशिश करता रहता है। यह असामाजिक तत्वों से लगाओ रखता है जिस से प्रेरित होकर यह हमारे ऊपर निरंतर हमला करने का प्रयास करता है।
अतः श्रीमान से निवेदन है उपरोक्त घटनाक्रम का संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करें और हमें न्याय दिलाने का कार्य करें।
धन्यवाद
नाम- गौरव
पुत्र- श्री अवधेश सिंह निवासी
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FIR kaise likhe
प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए क्या कहता है कानून
दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC)1973 की धारा 154 तथा 155 पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कराने का मार्गदर्शन करता है। कोई भी पीड़ित या व्यक्ति पुलिस थाने में वहां के अधिकारी को प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। प्राथमिकी का स्वरूप लिखित, मौखिक किसी भी रूप में हो सकता है। व्यक्ति अगर पढ़ा-लिखा नहीं है तो थाने के अधिकारियों का यह कर्तव्य होता है व्यक्ति द्वारा बोले गए वचनों को लेखबद्ध करें और उसे पढ़कर सुनाएं। पीड़ित की संतुष्टि के उपरांत उसके हस्ताक्षर करवाएं।
अगर महिला से संबंधित सूचना है तो इस सूचना को लेखबद्ध करने के लिए महिला अधिकारी का होना आवश्यक है। जो गंभीर प्रवृत्ति के अपराधों को लेखबद्ध करेगी। यह आवश्यक नहीं कि प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आप थाने जाएं, डाक के माध्यम से भी प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है।
किसी मामले में अगर घटना वाले स्थान के थाने में नहीं जाया जा सकता तो पीड़ित को यह स्वतंत्रता है वह किसी भी थाने में अपनी प्राथमिकी दे सकता है ,थाने का भारसाधक अधिकारी जीरो एफ आई आर लिखकर अन्वेषण के लिए संबंधित थाने को ट्रांसफर कर देगा।
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समापन
आशा है उपरोक्त लेख आपको पसंद आया हो अपने सुझाव तथा विचार कमेंट बॉक्स में लिखें। उपरोक्त प्रारूप का प्रयोग आप अन्य प्रकार के मामलों में भी कर सकते हैं। यह एक प्रारूप मात्र है इस प्रारूप से अपने घटना को जोड़कर उसमें व्यक्ति का नाम, दिनांक, स्थान, चश्मदीद तथा आपके द्वारा की गई प्रतिक्रिया का शामिल करना आवश्यक है। वस्तृत व्योरा आपके प्राथमिकी को प्रमाणिक और मजबूत बनाता है।