पत्नी के झूठे आरोपों से छुटकारा Mahila Cell Me Kya Hota Hai परिवार परामर्श केंद्र

By | 18/06/2023

भारतीय संस्कृति का दिन-प्रतिदिन ह्रास होता जा रहा है। पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण भारतीय संस्कृति को दिन-प्रतिदिन क्षीण करता जा रहा है। बड़े-बुजुर्ग ही नहीं आजकल बच्चों में भी क्रोधी स्वभाव, प्रवृत्ति को देखा जा सकता है। आज का मानव डिजिटल क्रांति के आगोश में है, जिसका सदुपयोग के बजाए दुरुपयोग हो रहा है। अधिक समय डिजिटल से जुड़े रहने के कारण व्यक्ति में चिड़चिड़ापन आदि का जन्म लेना स्वभाविक है। इसके दुष्परिणाम रिश्तो में भी देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि आज कोर्ट-कचहरी में मुकदमों की संख्या गुणात्मक रूप से बढ़ती जा रही है। प्रस्तुत लेख में आप महिला सेल से संबंधित जानकारी हासिल करेंगे

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परिवार परामर्श केंद्र पूरी प्रक्रिया जाने Mahila Cell Me Kya Hota Hai

पति-पत्नी का रिश्ता बेहद ही पावन और पवित्र माना जाता है। इस रिश्ते में मनुष्य ही नहीं देवता भी बंधे हुए हैं। एक-दूसरे के प्रति आदर सम्मान की भावना रखते हैं। वर्तमान समय में इस रिश्ते को लंबे समय तक बचा कर रखना कठिन कार्य जान पड़ता है। पति पत्नी के बीच छोटे-मोटे मनमुटाव होते रहते हैं यह कोई बड़ी बात नहीं है। कभी-कभी यह मनमुटाव बड़े झगड़ों में तब्दील हो जाता है। यह आत्मसम्मान, इगो आदि की लड़ाई में तब्दील हो जाता है। वही कुछ रिश्तेदार इन झगड़ों में सुलह के बजाय उन्हें हवा देने की कोशिश करते हैं जिसके कारण यह लड़ाई-झगड़ा परिवार के दायरे से निकलकर कोर्ट कचहरी के दहलीज तक जा पहुंचता है।

कई बार यह मुकदमे सच्चे होते हैं और कई बार झूठ। कई एजेंसियों का रिसर्च है महिलाएं अपने पति और उनके परिजनों पर झूठे मुकदमे तथा पुलिस केस करती है। जिसके कारण कचहरी में केसों की संख्या दिन प्रतिदिन गुणात्मक रूप से बढ़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अध्ययन में पाया कि अधिक झूठे मुकदमों के कारण निर्दोष व्यक्ति और उसका परिवार लंबे समय तक बिना गुनाह किए सजा पाता है। तमाम परेशानियों का सामना करता है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर महिला सेल का गठन किया गया है।

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mahila cell ke baad kya hota

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CAW Cell विमेन सेल क्या होता है

वूमेन सेल को Crime Against Woman cell के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अध्ययन में यह पाया था न्यायालय में ऐसे मामले आ रहे है जिनकी सुलह कुछ बैठक में की जा सकती थी। दोनों पार्टी को आपस में बिठा कर उनके आपसी मनमुटाव को दूर किया जा सकता है। इसके कारण समय, धन और बेवजह परेशानी से बचा जा सकता है। कई ऐसे मुकदमे न्यायालय में आते हैं जिससे न्यायालय का समय भी बर्बाद होता है तथा न्यायालय में मुकदमों की संख्या बढ़ती है। ऐसे में वह मुकदमे प्रभावित होते हैं जिनमें सुनवाई की अति आवश्यकता होती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर क्राईम अगेंस्ट वूमेन सेल की स्थापना की गई।

यहां FIR से पहले महिला की शिकायत दर्ज की जाती है, और दोनों पक्षों में आपसी सहमति से विवाद को हल करने का पुरजोर प्रयास किया जाता है।

सेल में किसी भी पार्टी पर किसी प्रकार का दबाव या आर्थिक दंड आदि की व्यवस्था नहीं है। यह केवल एक-दूसरे को समझाने का प्रयास करते हैं उसके अलावा उनके पास कोई भी अधिकार एक-दूसरे पर दबाव डालने या केस को प्रभावित करने का नहीं है। किसी भी पक्ष को बिना घबराए यहां आकर अपनी बातों को रखना चाहिए।

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महिला सेल का पहला चरण (शिकायत दर्ज ) CAW Cell

वूमेन सेल का पहला चरण यह होता है कि जिस महिला के साथ किसी प्रकार की अभद्रता, मारपीट, दहेज उत्पीड़न आदि की कोशिश की गई हो वह सीधे तौर पर वूमेन सेल में अपनी लिखित शिकायत दे सकती है।

समाज के असामाजिक तत्व चाहे वह घर के सदस्य ही क्यों ना हो, अगर महिलाओं पर किसी प्रकार का जुल्म, अत्याचार करते हैं तो महिलाओं को वूमेन सेल के रूप में एक सशक्त माध्यम मिला है जहां वह अपनी बातों को कानूनी रूप से कह सकती है। अपनी शिकायत को लिखित रूप से दर्ज करा सकती हैं। यहां अधिकतर मामले वह होते हैं जो न्यायालय तक जा सकते हैं जैसे दहेज, मारपीट, छेड़छाड़। महिला इन सभी परिस्थितियों में वूमेन सेल मैं अपनी शिकायत लिखवा सकती है।

पहले उपरोक्त केस में सीधे पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी FIR दर्ज की जाती थी और संबंधित व्यक्ति पर पुलिस कार्यवाही करती थी। झूठे मुकदमों की संख्या बढ़ने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने वूमेन सेल की स्थापना का आदेश दिया। यहां पुलिस दोनों पक्षों को बिठाकर उनके बातों को सुनती है और आवश्यकता अनुसार आगे की कार्यवाही करती है। अधिकतर मामले महिला सेल में ही सुलझा लिए जाते हैं क्योंकि महिलाएं तीव्र आवेश में आकर कार्यवाही करने को आतुर हो जाती हैं। अगर मामला नहीं सुलझता है तो जरूरत पड़ने पर FIR लिखती है और न्यायालय के लिए अगला कदम उठाती है।

दूसरा चरण (नोटिस जारी करना) CAW Cell

महिला द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के उपरांत आपको महिला सेल में बुलाया जाएगा। इसकी सूचना किसी भी प्रकार से आपके पास आ सकती है चाहे तो इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर आपको लिखित पत्र भेजें या मोबाइल फोन द्वारा सूचित करें। यह सूचना व व्यक्तिगत रूप से आपको देंगे। अधिकतर मामले में यह देखने को मिलता है ऑफिसर अपने निजी मोबाइल से फोन करके आपको इसकी सूचना देते हैं। वह आपको फोन पर महिला का नाम और आपके ऊपर दर्ज किया गया शिकायत बताते हैं। इस शिकायत पत्र में क्या मसौदा है या किस घटनाक्रम का जिक्र है यह सभी जानकारी आप को नहीं दी जाती।

अगर आपके साथ इस प्रकार का पहला घटनाक्रम हो रहा है तो, बताए गए पते पर पहुंच कर एक बार जानकारी हासिल कर ले। केस की वास्तविकता का ज्ञान हो जाएगा और आपको डेट पर उपस्थित होने में किसी प्रकार का भय नहीं होगा। वहां इसी प्रकार के केस हजारों की संख्या में उपस्थित रहते हैं।

तीसरा चरण (समझौता का प्रयास करना) 

बताए गए तिथि पर जब आप महिला सेल उपस्थित होते हैं, तो वह आप दोनों को बिठाकर एक-दूसरे की समस्या पूछते हैं। पूरा प्रयास करते हैं कि यह शिकायत FIR और कोर्ट कचहरी जाने से बचे। महिला सेल की प्राथमिकता यही होती है कोर्ट कचहरी और समय, पैसे को बचाना, घर की पुनर्स्थापना कराना, आपसी मनमुटाव को दोनों के मध्य दूर कराना। महिला की शिकायत और आपका जवाब केस की दिशा को तय करता है। कई मामलों में महिला सेल में ही समझौता हो जाता है यह आपके केस पर निर्भर करता है कि महिला ने आपके खिलाफ किस प्रकार का आरोप लगाया है। आपको अपनी बात वहां कहने का पूरा अधिकार है। आप बिना घबराए या फिर दबाव के अपनी बात वहां कह सकते हैं।

अंत में आपसे आपके बयान लिखवाते हैं या आपके बीच सहमति हुई तो राजीनामा करवाते हैं। इस प्रक्रिया में किसी भी पक्ष को बिना घबराए अपनी बात रखने का पूरा अधिकार होता है।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आपको महिला का शिकायत पत्र पढ़ने को नहीं दिया जाता और ना ही इसकी कॉपी आपको उपलब्ध कराई जाती है। कई मामलों में यह देखने को मिलता है कि इसकी कॉपी सूचना के अधिकार (RTI) तहत प्राप्त की जा सकती है।

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चौथा चरण (FIR या अदालत का रुख) CAW Cell

दोनों पक्षों के बीच जब आपसी समझौते की स्थिति नहीं बनती। काफी प्रयास करने के बावजूद दोनों पक्ष आपस में राजी नहीं होते तो केस की गंभीरता आदि की विवेचना करते हुए अग्रिम कार्यवाही की जाती है। ऑफिसर केस की विवेचना करते हुए FIR दर्ज करता है और अदालत में कार्यवाही के लिए आपके ऊपर चार्जशीट दायर करता है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जब तक किसी ऐसे घोर अपराध का साक्ष्य ना मिले तब तक गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। इसलिए अगर संगीन धाराएं आपके ऊपर नहीं लगाई गई है तो आप गिरफ्तारी से बचे रहेंगे। पुलिस आपके ऊपर केस दर्ज कर अदालत में उपस्थित होने के लिए कहेगी। आपको अपनी बात अदालत में साक्ष्यों के साथ रखनी चाहिए जहां आपको न्याय मिल सके।

महिला सेल के नोटिस पर नहीं जाए तो क्या होगा? (mahila cell me kya hota hai)

महिला सेल का ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि आपको किसी भी कार्य के लिए मजबूर करें या आप पर दबाव बनाए। महिला सेल के अधिकारी आपसे केवल संबंधित डेट पर उपस्थित होकर अपनी बात को रखने के लिए कहेंगे, दोनों के बीच समझौता कराने का प्रयास करेंगे। मगर यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप क्या चाहते हैं। अगर आप निर्दोष हैं आप किसी प्रकार से अपनी बातों को स्पष्ट रूप से रख सकते हैं तो आपको महिला सेल अवश्य जाना चाहिए। आगे की प्रक्रिया में आपकी यह उपस्थिति थोड़ी बहुत आपको मदद दे सकती है। यह आपके आगामी केस के ऊपर निर्भर करता है कि आपका केस किस प्रवृत्ति का है। कई केस में बेल लेने का आधार भी आपकी यह उपस्थिति बन जाती है।

अगर आप महिला सेल की नोटिस पर नहीं जाएंगे तो आपके ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं होगी। बस महिला के शिकायत को एकतरफा सुना जाएगा और उस शिकायत की विवेचना करते हुए आगामी कार्यवाही की जाएगी। अगर आप महिला सेल के नोटिस पर उपस्थित होते तो आप अपने पक्ष को रखकर आपके ऊपर होने वाले आगामी FIR या कानूनी कार्यवाही से बच सकते थे। इसलिए महिला सेल की नोटिस अगर आपको आए तो जहां तक संभव हो वहां उपस्थित होकर अपने तथ्यों को अपने बातों को स्पष्ट रूप से रखना चाहिए।

महिला सेल में पुलिस डराए धमकाए बेज्जती करें तो क्या करें? (mahila cell me kya hota hai)

महिला सेल का यह कार्य नहीं है कि वह आपको किसी भी प्रकार से डराने धमकाने का कार्य करे। आपके ऊपर दबाव बनाने का कार्य करे। महिला सेल का काम सिर्फ इतना है दोनों पक्षों के बीच किसी भी प्रकार से समझौता कराना।

कई बार ऐसा देखने में आता है पैसा पावर का प्रयोग कर सामने वाला पक्ष आपके ऊपर हावी होने का प्रयास करता है। ऐसे में वह आपके अधिकारी तथा अन्य पुलिसवालों से सांठगांठ कर आपके ऊपर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं। ऐसी स्थिति में आपको संयम से कार्य लेना होगा। बिना किसी विवाद में पड़े अपने घर लौट आए और उससे ऊपर के अधिकारियों को शिकायत दर्ज कराएं। आपके साथ कैसी- कैसी अभद्रता या दबाव बनाने का कार्य किया गया है। आगे से आप महिला सेल जाए या ना जाए यह आपकी मर्जी है। आपके ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं होगा।

अगर आपके ऊपर मारपीट का प्रयास किया जाए, आपको किसी प्रकार से चोट लगे तो मेडिकल कराकर इसकी सूचना पुलिस को अवश्य दें ताकि आगामी कार्यवाही में यह आपके लिए पुख्ता सबूत बन सके।

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पति पर दहेज के अलावा और भी सामान पैसा आदि का दबाव बनाए तो क्या करें (mahila cell me kya hota hai)

दहेज लेना जितना अपराध है उतना ही दहेज देना। कई बार ऐसा देखने को मिलता है महिलाओं को घर से निकाल दिया जाता है उनका पैसा सामान ज्वेलरी आदि ससुराल पक्ष वाले घर रख लेते हैं। अगर महिला सेल में समझौते की नौबत आती है और महिला अपने उचित सामान का डिमांड करती हैं तो आप उन सामान को लौटा कर समझौता कर लें। यहां ध्यान रखें अनुचित मांग को कभी भी स्वीकार ना करें।

जो सामान उसका नहीं है और वह आपसे डिमांड कर रही है तो उसके अनुचित मांग को कभी भी पूरा करने की कोशिश ना करें। हो सकता है आप उस मांग को आसानी से पूरा कर देंगे, मगर समाज में इसका गलत संदेश जाता है। इसका खामियाजा वह व्यक्ति भुगतता है जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होता, इसलिए ऐसे व्यवहार को कभी बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।

अगर आपके ऊपर दहेज के अलावा सामान, पैसा आदि का गलत दबाव बनाएं तो आप उन्हें अस्वीकार करें। उन्हें आगे बढ़ने दें वह अपने मांग को ठोस साक्ष्यों के साथ ही अदालत में ले सकते हैं अन्यथा उनकी कोई सुनवाई नहीं है। इसलिए घबराने और अनुचित मांग को पूरा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

अगर आप विमेन सेल बीच में जाना छोड़ दे तो क्या होगा?

अगर आप महिला सेल जाना कुछ तारीख के बाद छोड़ देते हैं तो आपको घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। बस महिला द्वारा शिकायत किए गए शिकायत पत्र की जांच कर उसकी विवेचना कर उसके अनुसार आपके ऊपर FIR और अदालती कार्यवाही की जाएगी।

महिला सेल से यह केस थाने में जाएगा जहां आप अपने जांच अधिकारी को अपने साक्ष्य दिखाकर उस शिकायत पत्र को निरस्त कराने का प्रयास करें। अगर जांच अधिकारी आपके साक्ष्यों को ठीक मानता है उसकी प्रमाणिकता उचित है तो जांच अधिकारी का यह अधिकार होता है कि उसके केस को निरस्त कर दे। अन्यथा वह अदालती कार्यवाही के लिए आगे की कार्यवाही करेगा।

आपको अदालत में अपने साक्ष्य को सिद्ध करना है और उस केस को पहले ही डेट में खारिश करवाने का प्रयास करना है। अगर कोर्ट भी आपके बात को सुनने के लिए तैयार नहीं है, तो आप आगामी तारीखों में अपने साक्ष्य को प्रस्तुत करें और अपने ऊपर झूठे आरोप को साबित करें।

विमेन सेल में दहेज के अलावा किन शिकायतों पर सुनवाई होती है (mahila cell me kya hota hai)

महिला सेल में दहेज के अलावा घरेलू हिंसा, मारपीट छेड़छाड़ आदि की शिकायतों पर सुनवाई की जाती है। यहां महिला या पत्नी इन सभी शिकायतों को स्वयं अपने हाथों से लिख कर दर्ज करा सकती है। इसमें किसी वकील या अन्य हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं होती।

विमेन सेल के लाभ

महिला सेल की स्थापना जैसा कि हम जानते हैं समझौता कराने के उद्देश्य की गई है। कई बार पत्नियां छोटे-मोटे मनमुटाव के कारण या किसी बहकावे में आकर महिला सेल में अपने पति या किसी पुरुष के खिलाफ शिकायत तो करती हैं। किंतु उनका भी अंतर्मन उन्हें कभी इस शिकायत के लिए प्रेरित नहीं करता।

छोटी मोटी घटनाएं मनमुटाव घर में होती रहती है। ऐसा कोई घर नहीं होगा जहां पति पत्नी के छोटे-मोटे मनमुटाव ना होते हो। वर्तमान संदर्भ में शायद ही ऐसा कोई घर हो। इस छोटे-मोटे मनमुटाव को पहले लोग समाज में बैठकर निपटा लिया करते थे। आजकल समाज के पास इन सभी कार्यों के लिए समय नहीं है और लोग कानूनी पचड़े में पड़ना भी नहीं चाहते। उस समाज का स्थान महिला सेल ने ले लिया है।

अगर पत्नी छोटे-मोटे झगड़े और मनमुटाव से महिला सेल शिकायत करने पहुंची है पति भी वहां अपनी बातों को रख कर दोनों आपस में रजामंदी करते हैं तो महिला सेल मध्यस्था करा कर दोनों को वैवाहिक जीवन पुनः आरंभ करने के लिए अनुरोध करता है। महिला सेल में ऐसे केसों को भी निपटाया गया जो आगे भविष्य में अदालती कार्यवाही के लिए जा सकते थे।

यहां महिला सेल की सराहना करनी पड़ेगी कि उन्होंने अपने बुद्धि विवेक का प्रयोग करते हुए उन अदालती कार्यवाही की संख्या में कमी लाने का प्रयास किया है। लोगों के घर बसाने का कार्य किया है, महिला सेल में ऐसा देखा गया है छोटे-मोटे मनमुटाव को आसानी से दूर कर लिया जाता है, बिना किसी कानूनी कार्यवाही के यहां दोनों पक्षों को फायदा मिलता है।

विमेन सेल के हानि (mahila cell me kya hota hai)

घर की दहलीज से कोई बात बाहर निकलती है और कानूनी दायरे में या समाज के बीच आती है तो महिला और पुरुष दोनों पक्षों में प्रतिद्वंदी का भाव आ जाता है। दोनों एक दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं। दोनों एक दूसरे पर हावी होने का प्रयास करते हैं। ऐसी स्थिति में जो बात बननी थी वह बिगड़ती चली जाती है।

कई बार वुमन सेल में पत्नियां छोटी मोटी शिकायतें लेकर पहुंचती है मगर वहां उपस्थित हुए पति पर अनाप-शनाप आरोप और अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगती है। ऐसे में पति उसकी बातों को अपने आत्मसम्मान पर ले लेता है और छोटे-मोटे झगड़े कब बड़े झगड़ों में तब्दील हो जाता है यह देर से समझ आता है।

कई बार ऐसी स्थिति भी बनती है महिला के घर वाले महिला सेल के बाहर बैठते हैं और पुरुष पर अनाप-शनाप बातें या फिर धमकी देने का प्रयत्न करते हैं। ऐसे में यह झगड़ा का रूप ले लेता है।

एक और शिकायत सुनने को मिलती है महिला सेल में पुलिस अधिकारी पति को डांट देते हैं या उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाते हैं। यहां पुरुष उस स्थिति से निपट रहा होता है, कि महिला का व्यवहार उसकी मुस्कुराहट रंग में भंग डालने का कार्य कर देती है। जहां समझौते की स्थिति बन सकती थी वह अब विवाद का रूप ले लेती है।  यह कानूनी कार्यवाही के लिए केस आगे बढ़ जाता है। इसलिए जहां महिला सेल के अनेकों फायदे हैं वहां इस प्रकार की कुछ खामियां भी है।

क्या वुमन सेल वाले शिकायत की कॉपी देते हैं?

महिला सेल से आपको कोई शिकायत पत्र या कागजात नहीं दिए जाते हैं। अपने सूचना का अधिकार का प्रयोग करते हुए आप आर.टी.आई के माध्यम से शिकायत कॉपी प्राप्त कर सकते हैं।

परिवार परामर्श केंद्र में देवर-भाभी की शिकायत की जा सकती है?

परिवार परामर्श केंद्र अर्थात महिला थाना में मुख्य रूप से पति को आरोपी बना कर उसके घर वालों के खिलाफ भी शिकायत दी जाती है। अगर प्रार्थना पत्र में पति को आरोपी नहीं बनाया गया है। उस पत्र में केवल घर के अन्य सदस्यों को आरोपी बनाया जाता है तो यह महिला थाना या परिवार परामर्श केंद्र में चलने लायक नहीं होता। यह मुद्दा साधारण थाने का हो जाता है।

अर्थात महिला परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ छेड़छाड़, मारपीट आदि की शिकायत सीधे तौर पर थाने में कर सकती है।

एक ऐसा ही मामला देखने को मिला जहां महिला थाना में महिला अपने देवर के खिलाफ छेड़छाड़ तथा दुर्व्यवहार की शिकायत कराने गई थी। वहां अधिकारियों ने प्रार्थना पत्र स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। परिवार परामर्श केंद्र का कार्य पति-पत्नी के बीच समझौता कराना है ना कि देवर भाभी के बीच की कहासुनी छेड़छाड़ के आरोपों में दखल देना। महिला को सुझाव दिया गया अपनी शिकायत नजदीकी थाने में करें।

समापन

झगड़ा हर एक घर में होता है किसी में थोड़ा तो किसी में कम। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि कन्यादान के बाद मायके पक्ष का अपनी बेटी पर अधिकार पूर्व की तरह नहीं होता। उसे नए घर में जाना होता है वहां के तौर तरीके सीखने होते हैं। हर एक व्यक्ति का अलग विचार अलग आचरण होता है।

अपनी बेटियों को इस प्रकार का संस्कार देना चाहिए कि छोटे-मोटे झगड़े वह अपने घर की दहलीज से बाहर ना निकालें। किंतु आज की माताएं वह संस्कार अपनी पुत्रियों में नहीं दे पाती। बल्कि वह स्वयं दिन भर फोन करके या अन्य माध्यम से अपनी पुत्री से जुड़ी रहती हैं। वहां के पल-पल की घटना की जानकारी प्राप्त करती है। छोटे-मोटे झगड़े में घी डालने का कार्य करती है। जो झगड़े घर परिवार में समाप्त हो सकता था मां के आचरण से वह झगड़ा कोर्ट कचहरी तक पहुंच जाता है। इस कोर्ट कचहरी के चक्कर में माता अपनी बेटी का घर बर्बाद कर बैठती है।

मैं उन माताओं को दोष नहीं देता हूं जिनकी बेटियों के साथ वास्तव में अत्याचार होता है। किंतु ऐसी भी मां है जो छोटे-मोटे झगड़ों को बड़ा बनाती है। आज कोर्ट भी इन तथ्यों का अध्ययन कर माता के भूमिका को जानता है। इसलिए कोर्ट भी कन्या की माता को अपराधी की नजर से देखने लगा है।

उपरोक्त लेख किसी की भावना को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य नहीं लिखा गया है। यह जानकारी और घर बसाने की एक छोटी सी पहल के रूप में लिखा गया है ताकि आप इन बारीकियों को समझते हुए अपने घर को पुनर्स्थापित कर सकें। अपने छोटे-मोटे झगड़ों को घर के भीतर ही सुलझा लें जिससे आपका धन समय तथा अन्य परेशानियों से बचाव हो सके।

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