CrPC की धारा 125 के तहत पत्नी अथवा आश्रितों को गुजारा भत्ता या भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार है। CrPC की धारा 125 के तहत गुजारे भत्ते का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत किया गया है। किन परिस्थितियों में गुजारा भत्ता मिलेगा तथा किन परिस्थितियों में गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा यह सभी प्रावधान इस धारा के अंतर्गत प्रकाशित किए गए हैं। प्रस्तुत लेख में आप CrPC 125(4) के अंतर्गत पत्नी गुजारा भत्ता लेने का अधिकार नहीं रखती जानेंगे।
125(4) CrPC in Hindi कब पत्नी को अंतरिम भरण पोषण देने से इनकार किया जा सकता है?
कोई पत्नी अपने पति से इस धारा के अधीन भरण-पोषण या अंतरिम भरण-पोषण के खर्चे का हकदार ना होगी यदि वह किसी अन्य पुरुष के साथ रह रही हो या फिर पर्याप्त कारण के बिना अपने पति के साथ रहने से इंकार करती है, या फिर पारस्परिक सहमति से अलग रह रही हो। उपरोक्त परिस्थिति में भरण पोषण या अन्य प्रकार की राशि का अधिकार पत्नी के पास नहीं रहता।
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महिलाएं ऐसे प्राप्त करें गुजारा भत्ता Section 125Crpc Hindu Marriage Act in Hindi
स्वेच्छा से अलग रह रही पत्नी को नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में आदेश जारी किया जिसमें पत्नी को पारिवारिक न्यायालय से ₹10000 मासिक गुजारा भत्ता प्राप्त करने आदेश हुआ था। पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय में यह मुकदमा दायर किया था। पति पक्ष से दहेज की मांग होने के कारण वह स्वेच्छा से अपने मायके जाकर रह रही है, अतः उसे गुजारा भत्ता मिलना चाहिए। पारिवारिक न्यायालय ने महिला के पक्ष में आदेश दिया।
आदेश को चुनौती देते हुए पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पति ने वहां मुकदमे के सभी पहलुओं को अदालत के सामने रखा। पत्नी दहेज मांगने की बात को कोर्ट के समक्ष ठोस प्रमाण के साथ प्रस्तुत नहीं कर सकी। कोर्ट ने अध्ययन में पाया महिला स्वेच्छा से अपने मायके जाकर रह रही है। CrPC की धारा 125(4) के तहत वह गुजारा भत्ता प्राप्त करने का हकदार नहीं है। महिला बिना किसी उस कारण के स्वेच्छा से मायके में निवास कर रही है। इस पर पति को राहत देते हुए कोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय द्वारा जारी गुजारा भत्ता रोकने का आदेश पारित किया।
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समापन
धारा 125(4) का प्रयोग कर ऐसी पत्नी जो स्वयं की इच्छा से अलग रह रही हो या फिर उनके पास कोई ऐसा पर्याप्त कारण नहीं है जिससे वह घर बसा सके। ऐसी स्थिति में वह पति से भरण-पोषण आदि खर्चे का हकदार नहीं रहती। कई फैसले इस धारा के अंतर्गत मिसाल बने हैं, जिनका संदर्भ आप उपरोक्त ले सकते हैं।