41 CrPC in hindi नहीं कर सकती पुलिस आपको गिरफ्तार जानिए विस्तार से।

By | 18/07/2023

न्यायिक मार्गदर्शिका में गिरफ्तारी का भी विधान किया गया है। इस दिशा में किस प्रकार की कार्यवाही होनी चाहिए इसका व्यापक रूप से वर्णन CrPC की धारा 41 में है। अर्थात पुलिस तथा मजिस्ट्रेट आदि को किस प्रकार का व्यवहार तथा कार्यवाही गिरफ्तार करने वाले व्यक्ति के प्रति किया जाना चाहिए निर्देशित किया गया है। प्रस्तुत लेख में आप व्यक्तियों की गिरफ्तारी के संबंध में CrPC की धारा 41 का अध्ययन करेंगे।

41(a) CrPC in hindi बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति पुलिस गिरफ्तार नहीं करेगी.

संविधान में गिरफ्तारी के लिए अलग से विधान किया गया है। CrPC की धारा 41 के तहत पुलिस तथा मजिस्ट्रेट को गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान की गई है। इस धारा के तहत पुलिस आपको निम्नलिखित कारणों से गिरफ्तार कर सकती है। गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधिकारी को मजिस्ट्रेट की आज्ञा और वारंट की भी आवश्यकता नहीं होगी –

  • यदि आपने संज्ञेय , घोर अपराध किया है।
  • आपने कोई ऐसा अपराध किया है जिसकी सजा 7 वर्ष से अधिक है।
  • आगामी भविष्य में आपके द्वारा अपराध करने की घोर संभावना प्रकट होती है।
  • आपके गिरफ्तार ना होने से जांच प्रभावित हो सकती है।
  • आपके द्वारा साक्ष्य सबूत को नष्ट करने की संभावना प्रतीत होती है।
  • अगर आप किसी को संबंधित जांच में धमकी देते हैं।
  • अगर आप घोषित बदमाश है।
  • पुलिस के कार्यवाही में अगर आप बाधा पहुंचाते हैं।
  • पुलिस संरक्षण से निकल भागने की कोशिश करते हैं।
  • कोई चोरी की सामग्री अगर आपके पास प्राप्त होती है।

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41 crpc in hindi

41 crpc in hindi

उपरोक्त परिस्थितियों में पुलिस आपको तत्काल गिरफ्तार कर सकती है, इसके लिए पुलिस को मजिस्ट्रेट के आदेश तथा वारंट की आवश्यकता नहीं रह जाती। किंतु सिविल मामले जो साधारण प्रस्तुत होते हैं उनमें तत्काल गिरफ्तारी पर रोक है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 7 वर्ष से कम की सजा वाले कानून के तहत आम व्यक्ति को गिरफ्तारी से राहत दी हुई है।

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आवश्यकता नहीं होने पर व्यक्ति को गिरफ्तार करना कोर्ट की अवमानना माना जाएगा तथा विभागीय जांच संबंधित अधिकारी के खिलाफ की जाएगी। उस अधिकारी को भ्रष्टाचार में लिप्त माना जाएगा। इसलिए अब साधारण घरेलू तथा सिविल कानूनों में गिरफ्तारी की प्रक्रिया में ढील दी गई है।

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पुलिस अधिकारी ऐसे मामलों में जहां गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है धारा 41 की उप धारा 1 के तहत नोटिस जारी करेगी। इस नोटिस का पालन करना व्यक्ति का कर्तव्य होगा। नोटिस का पालन बिना उचित कारण के नहीं करने पर पुलिस आप को गिरफ्तार कर सकती है। आप सजा के भागी बन सकते हैं। आप पुलिस जांच में सहयोग करते हुए इस नोटिस का पालन अवश्य करें, यह आपको गिरफ्तारी से बचाने का सशक्त माध्यम है।

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समाप्त

माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी के संबंध में लचीला रुख इसलिए रखा गया है। बड़ी संख्या में मुकदमा मानसिक संतुष्टि तथा बदला लेने की भावना से दर्ज किए जा रहे थे। विशेषकर घरेलू हिंसा के क्षेत्र में ऐसे में। महिला के आरोप को माध्यम बनाते हुए पुलिस अधिकारियों ने गिरफ्तारी का कार्य आरंभ कर दिया था। कई पुलिसवाले भ्रष्टाचार में लिप्त होकर इस कार्य को अंजाम दे रहे थे।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अध्ययन में उपरोक्त तथ्यों को पाया और विस्तार से आदेश लिखाते हुए यह निर्देश दिया। आवश्यकता नहीं होने पर 7 वर्ष से कम की सजा वाले मुकदमों में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी तत्काल नहीं की जाए। अगर कोई अधिकारी इस आदेश का पालन नहीं करता उस अधिकारी को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना का सामना करना होगा। उसके विरुद्ध विभागीय जांच की जाएगी तथा अन्य प्रकार की सजा भी दी जा सकती है। यह निर्देश देते हुए उन्होंने समस्त राज्य सरकार, उच्च न्यायालय तथा अधिकारियों को ऑर्डर की कॉपी तत्काल देने का आदेश पारित किया।

उपरोक्त अध्ययन में स्पष्ट होता है कि कानून का दुरुपयोग रोकने के उद्देश्य से अब गिरफ्तारी की प्रक्रिया में राहत दी गई है। आवश्यकता नहीं होने पर तथा 7 वर्ष से अधिक की सजा नहीं होने पर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

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