विवाह को किसी भी धर्म में विशेष मान्यता दी गई है। हिंदू धर्म में इसे आत्मा का संबंध माना है, दो परिवारों का संबंध माना है। इस पवित्र रिश्ते को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 द्वारा निर्देशित किया गया है। प्रस्तुत लेख में आप हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के विषय में जानकारी हासिल करेंगे।
हिंदू विवाह अधिनियम धारा 9.
Section 9 Hindu Marriage Act in Hindi
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के तहत घर बसाने का अधिकार पति-पत्नी को दिया गया है। किसी भी कारण से कोई एक पक्ष बिना बताए एक दूसरे से अलग रहते हैं। इस बाबत पति या पत्नी अपने दांपत्य जीवन को पुनर्स्थापित करने के लिए जिला न्यायालय में धारा 9 का प्रयोग करते हुए आवेदन कर सकता है। धारा 9 दांपत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन के उद्देश्य से बनाया गया है। जिला न्यायालय पक्षकार की शिकायतों को मंजूर करता है और दूसरे पक्ष को अपना पक्ष रखने के लिए आमंत्रित करता है। न्यायालय में अपना पक्ष रखकर अदालत को बताना होता है। अगर दूसरा पक्ष दांपत्य जीवन को पुनर्स्थापित नहीं करना चाहता तो उसे उचित कारण कोर्ट के समक्ष रखना होगा अन्यथा कोर्ट दांपत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन का आदेश दे सकता है।
महिलाएं ऐसे प्राप्त करें गुजारा भत्ता Section 125Crpc Hindu Marriage Act in Hindi
टिप्पणियां
- इस धारा के प्रयोग से दांपत्य जीवन का पुनर्स्थापित किया जाता है।
- इस धारा का प्रयोग पति/पत्नी कोई भी कर सकते हैं।
- धारा 9 को कानून के दृष्टि से वर्तमान परिपेक्ष में निष्क्रिय कानून के रूप में देखा जा रहा है।
- धारा 9 में पास हुए आदेश के पालन न होने पर यह विवाह विच्छेद का कारण भी बन जाता है।
- धारा 9 के अंतर्गत आदेश के उचित पालन ना होने पर यह भरण-पोषण के मुकदमों को प्रभावित कर सकता है।
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के फायदे तथा नुकसान
हिंदू मैरिज एक्ट का सेक्शन 9 घर को बसाने का पुरजोर समर्थन करता है और उसके लिए मानदंड तय करता है। कई मामलों में इसका फायदा देखने को मिलता है और कई मामलों में इसके नुकसान भी सामने आते हैं इसीलिए वर्तमान परिपेक्ष में इस सेक्शन को उतना तवज्जो नहीं मिलता जितना पूर्व के समय में मिला करता था।
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, Domestic Violence Act Details In Hindi
पत्नी के झूठे आरोपों से छुटकारा Mahila Cell Me Kya Hota Hai
स्त्रीधन कब और किन परिस्थितियों में लौटाएं, Stridhan in Hindu Law in Hindi
सेक्शन 9 के फायदे
1 पति तथा पत्नी को दांपत्य जीवन को पुनर्स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है।
2 सेक्शन 9 के अंतर्गत पति अथवा पत्नी अपने दांपत्य जीवन को पुनर्स्थापित करवाने के लिए कोर्ट से मांग कर सकता है।
3 सेक्शन 9 के आदेश से दांपत्य जीवन को पुनर्स्थापित करने में सहायता मिलती है।
सेक्शन 9 के नुकसान
1 कई बार दंपत्ति के बीच झगड़ा बड़ा रूप ले लेता है। कोर्ट में जहां एक साथ रहने की बात करते हैं कोर्ट से बाहर वह स्थिति बदल जाती है।
2 कोर्ट के आदेश, सुझाव या मध्यस्थता के उपरांत दंपत्ति घर बसाने को राजी होते हैं किंतु उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता।
3 जहां दांपत्य जीवन की पुनर्स्थापना संभव नहीं है वैसी स्थिति में सेक्शन 9 का केस काफी समय लेने के साथ खर्चीला भी साबित होता है। इसके उपरांत दंपत्ति विवाह-विच्छेद का केस लड़ते हैं जिसमें समय और पैसा दोनों लगता है।
4 कई परिस्थितियों में सामने वाले पक्ष के ऊपर केस का भार तथा दांपत्य जीवन की पुनर्स्थापना की संभावना नहीं होते हुए भी यह केस किया जाता है।
5 पक्षकार घर बसाने की मनसा कोर्ट के सामने रखता है जबकि उसकी वास्तविक मनसा घर बसाने की नहीं होती है।
पोक्सो एक्ट की जानकारी हिंदी में POCSO Act in Hindi
समापन
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के अंतर्गत दांपत्य जीवन को पुनर्स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। इस धारा के अंतर्गत लोगों के घर कोर्ट ने बसाए हैं। निश्चित रूप से यह कानून सराहनीय है। छोटे-मोटे झगड़ों के कारण दांपत्य जीवन कुछ समय के लिए प्रभावित हो जाता है जिसमें धारा 9 उन झगड़ों को दूर कर घर को बरसाने का कार्य करता है।
उपरोक्त लेख अपनी निजी जानकारी के रूप में लिखा गया है। किसी भी प्रकार की त्रुटि मानवीय त्रुटि मानी जाएगी।लेख से संबंधित अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिखें ताकि हम लेख को अधिक सुधार के साथ प्रस्तुत कर सकें।