भारतीय कानून में सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप न्याय की व्यवस्था की गई है, इसी क्रम में विवाह से संबंधित नियमों का संकलन हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में किया गया है। इसके अंतर्गत विवाह की सभी प्रक्रियाओं को धाराओं के सीमा में बांधा गया है। उसी क्रम में तलाक का जिक्र है, प्रस्तुत लेख में हम तलाक के उपरांत विवाह से संबंधित आपके प्रश्नों का हाल लिख रहे हैं।
Talak Ke Kitne Din Baad Shadi Kar Sakte Hai
तलाक के कितने दिन बाद शादी कर सकते हैं
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 15 के अंतर्गत तलाक के उपरांत पुनर्विवाह की विधि उल्लेख की गई है- ” जब की विवाह तलाक की आज्ञापित द्वारा भंग कर दिया गया है, और या तो आज्ञापित के खिलाफ अपील करने का कोई अधिकार नहीं है, और या यदि अपील करने का ऐसा अधिकार है, तो अपील करने के समय का अवसान, अपील पेश किए जाने के बिना हो गया है, या अपील की गई है, अपील खारिज कर दी गई है, तो विवाह में के किसी प्रकार के लिए फिर विवाह करना विधि पूर्ण होगा”
साधारण शब्दों में समझे तो कोर्ट द्वारा तलाक का आदेश जारी करने के उपरांत अगर 90 दिन के भीतर उसे आदेश को चुनौती नहीं दी गई तो विवाह करने की स्वतंत्रता होगी विवाह विधि मान्य होगा। 90 दिन के उपरांत किसी भी प्रकार से आदेश की चुनौती को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
Talak Kaise Le Sakte Hai पत्नी द्वारा मानसिक उत्पीड़न कैसे साबित करें Patni Ke Dwara Krurta
Kya Talak Lena Sahi Hai पत्नी से एकतरफा तलाक कैसे लें
आपसी सहमति से तलाक Mutual Divorce Ke Bad Shadi
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13B के तहत आपसी सहमति से तलाक की व्यवस्था की गई है। इस धारा के अंतर्गत हुए विवाह विच्छेद (तलाक) के उपरांत विवाह के संदर्भ में कोई समय सीमा का निर्धारण नहीं किया गया है। अतः आपसी सहमति से तलाक के बाद आप किसी भी समय विवाह करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसमें समय सीमा की कोई बाध्यता नहीं है। जबकि कोर्ट द्वारा प्राप्त तलाक के आदेश उपरांत 90 दिन की समय सीमा होती है। 90 दिन की प्रतीक्षा के उपरांत ही विवाह संपन्न किया जा सकता है। 90 दिन का समय आदेश को चुनौती देने के लिए होता है, उसके उपरांत चुनौती स्वीकार नहीं की जाती।
संबंधित लेख पढ़े
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, Domestic Violence Act Details In Hindi
पत्नी के झूठे आरोपों से छुटकारा Mahila Cell Me Kya Hota Hai
स्त्रीधन कब और किन परिस्थितियों में लौटाएं, Stridhan in Hindu Law in Hindi
अरनेश कुमार वर्सेस बिहार Arnesh Kumar vs State of Bihar Judgement in Hindi
क्या 498A में तुरंत गिरफ्तारी होती है? IPC 498A In Hindi दहेज केस से बचने के उपाय
अपराधी पत्नी को जेल भेजें Patni Ko Jail Kaise Bheje कानून के दुरुपयोग पर रोक
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9. Section 9 Hindu Marriage Act in Hindi
महिलाएं ऐसे प्राप्त करें गुजारा भत्ता Section 125Crpc Hindu Marriage Act in Hindi
125(4) CrPC in Hindi स्वेच्छा से अलग रह रही पत्नी को नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता
पोक्सो एक्ट की जानकारी हिंदी में POCSO Act in Hindi
बच्चे से मिलने का अधिकार Child Custody Ya Visiting Right Kaise Le
41 CrPC in hindi नहीं कर सकती पुलिस आपको गिरफ्तार जानिए विस्तार से।
FIR Kaise Likhe पुलिस शिकायत कैसे करें। थाने में शिकायत पत्र कैसे लिखें
Police FIR Na Likhe To Kya Kare अगर पुलिस कार्रवाई न करे तो क्या करें?
Tanav Se Kaise Bache In Hindi झूठे मुक़दमे अब नहीं करेंगे परेशान।Life Will Be Won
हमसे जुड़े और अन्य को भी जोड़ें
समापन
व्यक्ति का जीवन कुछ समय के लिए और विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों के लिए होता है, अपने जीवन को स्थिर करने के बजाय मनुष्य को सदैव गतिशील होना चाहिए चाहे वह जीवन का कैसा भी पड़ाव क्यों ना हो। जीवनसाथी के महत्व को हम जानकारी नहीं सकते। हमें यह विश्वास दिलाया गया है कि बुढ़ापे में जीवनसाथी की आवश्यकता होती है। ना चाहते हुए भी हमें इस बात को स्वीकार करना पड़ता है। अगर आप ऐसे किसी असमंजस में है तो अपने लिए जीवनसाथी की तलाश करें, जो आपकी बातों को समझे आपके सुख-दुख में साथ दे। ऐसे किसी स्त्री के मिलने से निश्चित ही आपका जीवन सुखद हो सकता है। अगर आप तलाक का आदेश प्राप्त कर चुके हैं तो ऊपर बताए गए समयावधि के उपरांत विवाह कर सकते हैं।
उपरोक्त लेख आपको कैसा लगा? अपने सुझाव हमें कमेंट बॉक्स में बताएं आपके सुझाव हमारे लिए अहम है।